नीलकंठ (Nilkanth)

Introduction

Today we are going to read lesson Neelkanth. It is a Graph. Mahadevi Varma has written this picture writing. In this Graph our writer keeps birds and so many pet animals. She has two peacocks in which one is named Neelkanth and the other is named Radha.let’s start our lesson and know about nilkanth.

Lesson Explanation (Part 1)

Lesson Explanation (Part 2)

Lesson Explanation (Part 3)

Lesson Explanation (Part 4)

Lesson Explanation (Part 5)

Lesson Explanation (Part 6)

Lesson Explanation (Part 7)

Lesson Read Audio (Part 1)

Lesson Read Audio (Part 2)

Lesson Read Audio (Part 3)

Words Meaning

vfrfFk & मेहमान & guest

nqdku &  कारख़ाना &  shop

ladsr &  इशारा & Indication

eksj & मयूर & Peacock

rhrjksa & तीतर पक्षी & Partridge

equkflc & अनुकूल & Germane

nqcZyrk & अशक्ति & Infirmity

pwgsnkuh & चूहे मारना & Rat donor

yqdkfNih & yqdkfNih & Peekaboo

vk'oLr & आत्म विश्वासी & Confident

flagklu & राज-गद्दी  & Throne

banzèkuq"kh & रंग-बिरंग & Iridescent

मरहम-पट्टी & मरहम-पट्टी & Dressing

rjafxr & लहरदार & Wavy

 

Glossary

nqdku &  कारख़ाना &  shop:- दुकान को हम कारखाना भी बोलते हैं |इस दुकान में गृहस्ती की सारी चीजें मिल जाती है, हर चीजों के लिए अलग-अलग दुकान बनाई गई है |

 

eksj & मयूर & peacock:- मोर का मतलब मयूर होता है| यह मोर बहुत ही सुंदर होता है |इसके जब पंख फैलते हैं तो बहुत अच्छा लगता है| इसके पंख काफी रंगीन होते हैं|

rhrjksa & तीतर पक्षी & partridge:- तीतर भी एक तरह का पक्षी है ,जो देखने में काफी सुंदर होता है|

pwgsnkuh & चूहे पकड़ना & Rat donor:- चूहे दानी का मतलब होता है ,चूहे पकड़ने वाली एक बॉक्स जिसमें चूहे भाग जाते हैं ,यह जालीदार होता है|

flagklu & राज-गद्दी  & throne:- सिंहासन का मतलब होता है राजगद्दी | पहले जमाने में राजा महाराज इसी सिंहासन पर बैठ कर हुकूमत करते थे, और किसी भी बातों का निर्णय लेते थे |वहां एक सभा भी होती थी और सिंहासन उच्च स्थान पर बनाया जाता था|

banzèkuq"kh & रंग-बिरंग & iridescent:- इंद्रधनुष का मतलब होता है रंग बिरंगी रंगों में दिखना | जब सावन के महीने में बारिश होती है ,जब बसंत के महीनों में बारिश होती है ,तब आसमान में इंद्रधनुषी आकृति दिखाई देती है|

मरहम-पट्टी & मरहम-पट्टी & dressing:- मरहमपट्टी का मतलब होता है ,जब इंसान को कहीं चोट लग जाती है, और उस स्थान पर कुछ दवाइयां और पट्टी लगाकर उस चोट को भरा जाता है|

Question & Answer

निबंध से
प्रश्न 1.मोर-मोरनी के नाम किस आधार पर रखे गए?
उत्तर-मोर की गरदन नीली थी, इसलिए उसका नाम नीलकंठ रखा गया जबकि मोरनी मोर के साथ-साथ रहती थी अतः उसका नाम राधा रखा गया।

प्रश्न 2.जाली के बड़े घर में पहुँचने पर मोर के बच्चों का किस प्रकार स्वागत हुआ?
उत्तर-मोर के शावकों को जब जाली के बड़े घर में पहुँचाया गया तो दोनों का स्वागत ऐसे किया गया जैसे नव वधू के आगमन पर किया जाता था। लक्का कबूतर नाचना छोड़ उनके चारों ओर घूम-घूमकर गुटरगूं-गुटरगूं करने लगा, बड़े खरगोश गंभीर भाव से कतार में बैठकर उन्हें देखने लगे। छोटे खरगोश उनके आसपास उछल-कूद मचाने लगे। तोते एक आँख बंद करके उन्हें देखने लगते हैं।

प्रश्न 3.लेखिका को नीलकंठ की कौन-कौन सी चेष्टाएँ बहुत भाती थीं?
उत्तर:-नीलकंठ देखने में बहुत सुंदर था वैसे तो उसकी हर चेष्टा ही अपने आप में आकर्षक थी लेकिन महादेवी को निम्न चेष्टाएँ अत्यधिक भाती थीं।

  1. गर्दन ऊँची करके देखना।
  2. विशेष भंगिमा के साथ गर्दन नीची कर दाना चुगना।
  3. पानी पीना।
  4. गर्दन को टेढ़ी करके शब्द सुनना।
  5. मेघों की गर्जन ताल पर उसका इंद्रधनुष के गुच्छे जैसे पंखों को मंडलाकार बनाकर तन्मय नृत्य करना।
  6. महादेवी के हाथों से हौले-हौले चने उठाकर खाना।
  7. महादेवी के सामने पंख फैलाकर खड़े होना।
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  9. प्रश्न:-इस आनंदोत्सव की रागिनी में बेमेल स्वर कैसे बज उठा-वाक्य किस घटना की ओर संकेत कर रहा है?
    उत्तर-इस आनंदोत्सव में की रागिनी में बेमेल स्वर कैसे बज उठा, यह वाक्य उस घटना की ओर संकेत कर रहा है जब लेखिका ने बड़े मियाँ से एक अधमरी मोरनी खरीदी और उसे घर ले गई। उसका नाम कुब्जा रखा। उसे नीलकंठ और राधा का साथ रहना नहीं भाया। वह नीलकंठ के साथ रहना चाहती थी जबकि नीलकंठ उससे दूर भागता था। कुब्जा ने राधा के अंडे तोडकर बिखेर दिए। इससे नीलकंठ की प्रसन्नता का अंत हो गया क्योंकि राधा से दूरी बढ़ गई थी। कुब्जा ने नीलकंठ के शांतिपूर्ण जीवन में ऐसा कोलाहल मचाया कि बेचारे नीलकंठ का अंत ही हो गया।
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  11. प्रश्न
    वसंत ऋतु में नीलकंठ के लिए जालीघर में बंद रहना असहनीय क्यों हो जाता था?
    उत्तर-
    जब्र वसंत ऋतु में जब आम के वृक्ष सुनहली मंजरियों से लद जाते थे और अशोक के वृक्ष नए पत्तों में बँक जाते थे तब नीलकंठ जालीघर में अस्थिर हो जाता था। वह वसंत ऋतु में किसी घर में बंदी होकर नहीं रह सकता था उसे पुष्पित और पल्लवित वृक्ष भाते थे। तब उसे बाहर छोड़ देना पड़ता था।

प्रश्न 6.जालीघर में रहनेवाले सभी जीव एक-दूसरे के मित्र बन गए थे, पर कुब्जा के साथ ऐसा संभव क्यों नहीं हो पाया?
उत्तर-जालीघर में रहनेवाले सभी जीव-जंतु एक-दूसरे के मित्र बन गए, पर कुब्जा के साथ ऐसा संभव नहीं हो पाया, क्योंकि कुब्जा किसी से मित्रता करना नहीं चाहती थी। वह सबसे लड़ती रहती थी, उसे केवल नीलकंठ के साथ रहना पसंद था। वह और किसी को उसके पास नहीं जाने देती थी। किसी को उसके साथ देखते ही वह चोंच से मारना शुरू कर देती थी।

प्रश्न 7.नीलकंठ ने खरगोश के बच्चे को साँप से किस तरह बचाया? इस घटना के आधार पर नीलकंठ के स्वभाव की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:-एक बार एक साँप जालीघर के भीतर आ गया। सब जीव-जंतु भागकर इधर-उधर छिप गए, केवल एक शिशु खरगोश साँप की पकड़ में आ गया। साँप ने उसे निगलना चाहा और उसका आधा पिछला शरीर मुँह में दबा लिया। नन्हा खरगोश धीरे-धीरे चीं-चीं कर रहा था। सोए हुए नीलकंठ ने दर्दभरी व्यथा सुनी तो वह अपने पंख समेटता हुआ झूले से नीचे आ गया। अब उसने बहुत सतर्क होकर साँप के फन के पास पंजों से दबाया और फिर अपनी चोंच से इतने प्रहार उस पर किए कि वह अधमरा हो गया और फन की पकड़ ढीली होते ही खरगोश का बच्चा मुख से निकल आया। इस प्रकार नीलकंठ ने खरगोश के बच्चे को साँप से बचाया।
इस घटना के आधार पर नीलकंठ के स्वभाव की निम्न विशेषताएँ उभर कर आती हैं-

  1. सतर्कता-जालीघर के ऊँचे झूले पर सोते हुए भी उसे खरगोश की कराह सुनकर यह शक हो गया कि कोई प्राणी कष्ट में है और वह झट से झूले से नीचे उतरा।
  2. वीरता-नीलकंठ वीर प्राणी है। अकेले ही उसने साँप से खरगोश के बच्चे को बचाया और साँप के दो खंड (टुकड़े) करके अपनी वीरता का परिचय दिया।
  3. कुशल संरक्षक-खरगोश को मृत्यु के मुँह से बचाकर उसने सिद्ध कर दिया कि वह कुशल संरक्षक है। उसके संरक्षण में किसी प्राणी को कोई भय न था।